DOI: 10.48175/ijarsct-14308 ISSN: 2581-9429

आचार्य श्रीराम शर्मा के चिंतन में भक्तियोग का स्वरूप

डॉ. गोविन्द प्रसाद मिश्र
  • General Medicine

पं.श्रीराम शर्मा आचार्य के अनुसार जिस प्रकार शरीर पोषण के लिए आहार, जल और वायु तीनों साधनों की अनिवार्य आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार आत्मिक प्रगति की आवश्यकता पूरी करने के लिए भी तीन माध्यम अपनाने पड़ते हैं ये हैं- उपासना, साधना और आराधना।भारतीय दर्शन में ईश्वर की प्राप्ति, आत्मस्वरूप की प्राप्ति के लिए तीन मार्ग- भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग, और कर्म मार्ग बताये हैं। आचार्य जी इन तीनों को समन्वित रूप में अपनाने की बात कहते हैं। उपासना भक्तियोग है, साधना ज्ञानयोग और आराधना कर्मयोग । मन के तीन अंग है- भावना, ज्ञान और क्रिया । उपासना से भावना का जीवन साधना से व्यक्तित्व का एवं आराधना से क्रियाशीलता का परिष्कार और विकास होता है।

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